गजाननं भूतगणादि सेवितं,
कपित्थजम्बू्फलचारु भक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं,
नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ।।
गाइये गणपति जगबंदन ।
संकर सुवन भवानी नंदन ।।१।।
गाइये गणपति जगबंदन...
सिद्धि सदन गज बदन विनायक ।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक ।।२।।
गाइये गणपति जगबंदन...
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता ।
बिद्या बरिधि बुद्धि विधाता ।।३।।
गाइये गणपति जगबंदन...
मांगत तुलसीदास कर जोरे ।
बसाहीन रामसीय मानस मोरे ।।४।।
गाइये गणपति जगबंदन...
।। इति ।।